नन्हा नायक भीकू

कठिनाईयों की पहचान करते हुए साहस और जागरूकता द्वारा दूसरो की जान बचाने की कहानी

MORAL STORIES

BY ANKIT KUMAR MAURYA

" नन्हा भीकू "

एक बार एक गढ़ेरिया अपनी भेड़े चरा रहा था। शाम होते ही उसने सभी भेड़ो को पहाड़ी के रास्ते से घर वापस ले जाने का सोचा। उन्ही मेड़ों में एक नन्हा सा भेंड था भीकू। भीकू सबसे छोटा पर सबसे नटखट भेड़ था। उसने देखा कि भेड़ों की लम्बी भीड़ एक दिशा में चली जा रही है, जिसमें सभी भेड़ों के सिर नीचे की तरफ झुके हुए थे। भीड़ में अक्सर सभी भेंड़े आपस में ही टकरा जातीं फिर सम्भल भीड का हिस्सा बन जातीं थी ।

कुछ ही देर में भीकू को यह एहसास हुआ जैसे भेड़ों की इस भीड़ में भीकू बिल्कुल अकेला सा है। उसने अपना सिर ऊपर उठाया और वह अपनी माँ को ढूंढने लगा। लेकिन उस भीड़ में भीकू को उसकी माँ दिखाई नहीं दे रही थी। अपनी माँ की तलाश में भीकू भेड़ों की भीड़ से अलग हो आगे की तरफ दौड़ा और दौड़ते - दौड़ते वह पहाड़ी की चोटी पर पहुंच गया। उसने देखा कि आगे बहुत ही गहरी खाई है।

भीकू ने तभी देखा कि भेड़ों की भीड़ उस खाई की तरफ बढ़ी चली आ रही थी। भीकू ने जोर से आवाज लगाई 'ठहर जाओ !' उसकी आवाज सुनकर भेड़ें रूक गई तभी भीकू की माँ आगे आई और उसने भीकू से सभी को रोकने का कारण पूछा, भीकू ने चिंतित माँ को बताया कि आगे एक बहुत गहरी खाई है। गहरी खाई में गिरने से सभी भेड़ों की जान जा सकती थी । इस प्रकार भीकू ने सबकी जान बचाई।

अंत में सभी ने भीकू की बहुत प्रशंसा की और उसका शुक्रिया अदा किया ।

" नैतिक शिक्षा " - विषम परिस्थितियों में भी निर्भीक तथा निडर होकर साहस और जिम्मेदारी से उसका सामना करना चाहिए।